Entrance Gate Old Cemetery
ढोल की पोल

सैर सपाटा करने का शौक है तो आइए आलीशॉन कब्रिस्तान

Entrance Old Cemetery : यदि आपको सैर सपाटे का शौक है तो एक बार रुड़की के आलीशान कब्रिस्तान में भी आइए। घबराने की जरूरत नहीं है। यहां पर आपको कई ऐसे स्मारक मिलेंगे, जो आपके मन को भा जाएंगे। श्मशान घाट और कब्रिस्तान के नाम पर डरना अब बीते जमाने की बात हो गई है। अंधविश्वासों को दरकिनार कर अब उस स्थान को भी महत्व मिलने लगा है, जहां जीवन के अंतिम पड़ाव के बाद प्रत्येक मानव की देह को जाना ही पड़ता है। आत्मा अमर है, किंतु शरीर नहीं। तभी तो शरीर के निष्प्राण हो जाने पर अपने धर्मानुसार अंतिम क्रिया कर में विलीन किए जाने की व्यवस्था मानव द्वारा की गई है।

Entrance Old Cemetery

सैर करने के लिए आते हैं लोग

निष्प्राण मानव शरीर की क्रिया का ऐसा ही ऐतिहासिक स्थान है रुड़की में अंग्रेजों का कब्रिस्तान,
जिसे पुरातत्व विभाग राष्ट्रीय स्मारक के रुप में संरक्षित किया है। आपको बता दें कि कहने को यह कब्रिस्तान है, लेकिन यहां पर लोग सुबह और शाम की सैर करने के लिए आते हैं।

Entrance Old Cemetery – हरिद्वार के रूड़की में है आलीशान कब्रिस्तान

दरअसल, उत्तराखंड की देवभूमि और गंगा स्थली हरिद्वार जनपद की तहसील रूड़की में यह आलीशान कब्रिस्तान स्थित है। पुरात्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा इस आलीशान कब्रिस्तान को संरक्षित किया गया और इसी केंद्र सरकार के इसी विभाग द्वारा इसकी देखभाल की जा रही है। यहां पहुंचने पर बिल्कुल भी अहसास नहीं होता है कि आप कब्रिस्तान में है। यह कब्रिस्तान किसी भव्य और शानदार पार्क से कम नजर नहीं आता है। संरक्षित स्मारक होने के नाते इसकी सीमाओं से 100 मीटर तथा उससे परे 200 मीटर तक के क्षेत्र में खनन प्रक्रिया या सनिर्माण पर रोक लगाई गई है।

भव्य स्मारक देखकर नम हो जाती हैं आंखें

रुड़की की गंग नहर के किनारे विशाल क्षेत्रफल में फैले इस अंग्रेजों के कब्रिस्तान में यूं तो एक हजार से अधिक छोटी बड़ी कब्र हैं, लेकिन कुछ कब्र ऐसी भी हैं, जो भुलाए नहीं भुलती हैं। एक अंग्रेज ब्रिगेडियर की पुत्री मोना की अल्पायु में 23 अप्रैल 1919 में हुई दुखद मृत्यु को यहां एक स्मारक के रुप में संयोजा गया है। इस पर पत्थर से परी के रूप में बनाई गई मूर्ति कई तरह के भाव प्रकट करती है।

Entrance Gate Old Cemetery
Entrance Old Cemetery

इसी प्रकार फ्लोरेंस मैरी जो 18 दिसंबर 1907 को मात्र 16 साल की आयु में चल बसी थी, के भव्य स्मारक को देखते ही आंखें नम हो जाती हैं। इसी तरह एक अन्य कब्रगाह पर परी हाथ में फूल लिए घुटने के बल बैठकर प्रार्थना करती दिखती है। कुछ कब्रगाहों के आगे संदेश लिखने के पत्थर की ही किताब बनाकर लोगों के परिचय उकेरे गए हैं। यहां हर कब्रगाह अपने आप में कुछ न कुछ कहती दिखाई देती है।

अंग्रेजों का यह ऐतिहासिक कब्रिस्तान 200 साल से भी अधिक समय का साक्षी है, जिसमें वे ब्रिटिश अधिकारी भी समाए हैं, जिनकी अंग्रेजी शासन काल में तूती बोलती थी। इनमें से एक आनरेरी ब्रिगेडियर रॉयल इंजीनियर्स जेआर ब्रिस्टनी, जो 36 साल की उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह गए थे। इसी प्रकार लेफ्निेंट जनरल सर हैराल्ड विलियम , जो कि रॉयल इंजीनियर्स में रहते हुए दुनिया को छोड़कर चले गए थे। उनकी कब्र को भव्य और आलीशान स्मारक का रुप दिया गया है। ये दोनों स्मारक इस ​कब्रिस्तान का आकर्षण हैं।

ब्रिटिश अधिकारियों की वर्चस्व की यादें

चाहे 1 दिसंबर 1866 को गुजरे बंगाल इंजीनिरिंग ग्रुप के डेविड लिप्सन हों या फिर 30 अक्टूबर 1894 में एक हादसे में मौत की आगोश में समाए विलियम टीएस क्लिक, जेई बुरे, सी साइमेन आदि के संयुक्त स्मारक, ये सभी रुड़की में ब्रिटिश अधिकारियों के वर्चस्व की याद दिलाते हैं। भारत भले ही अंग्रेज अपने वतन को लौट गए हों, लेकिन भारत में शासन के दौरान हमेशा के लिए बिछड़े उनके अपनों की कब्र आज भी स्मारक के रुप में इतिहास की तस्वीर प्रस्तुत करती नजर आती है। फिलहाल इस स्मारक को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अपने तरीके से संजो रहा है, ताकि अंग्रेजों का यह कब्रिस्तान देखने के लिए पर्यटक भी जा सके।

Entrance Gate Old Cemetery
Entrance Old Cemetery

कब्रिस्तान में वर्ष 1860 की कई कब्रें मौजूद हैं। इन पर लगाए गए पत्थरों पर मृतक का नाम, उनकी जन्मतिथि और निधन की तिथि अंकित की गई है। कई कब्रों पर तो किन परिस्थितियों और किन कारणों में मौत हुई है, इसका भी जिक्र मिलता है।

Entrance Old Cemetery -ग्रैंड फादर की कब्र पर रो पड़ी थी इंग्लैंड की सैडविक

आईआईटी रुड़की में प्रोफेसर रहे फैडरिक विलियम्स की मृत्यु 1920 में हुई थी। जिनकी कब्र रुड़की स्थित पुराने कब्रिस्तान में स्थित है। करीब चार साल पहले आईआईटी में पहुंची शीला सैडिविक ने अपने ग्रैंड फादर के बारे में जानकारी ली तो उन्हें पता चला कि उनकी कब्र यहां मौजूद है। जब वे ग्रैंड फादर की कब्र पर पहुंची तो अपने आपको रोक नहीं पाई और फूट फूटकर रो पड़ी। इस तरह के कई वाकया इस कब्रिस्तान से जुड़े हुए हैं। Entrance Old Cemetery

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