चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मिलेंगे एस. जयशंकर, अफगानिस्तान और लद्दाख मुद्दे पर

नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने चीनी समकक्ष और स्टेट काउंसलर वांग यी से दुशांबे में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में मुलाकात करने वाले हैं। इस दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति पर चर्चा करने और पूर्वी लद्दाख में तेजी से तनाव कम करने को लेकर बातचीत की जाएगी। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज ताजिकिस्तान के दुशांबे के लिए रवाना गुए हैं, वहीं, उज्बेकिस्तान में दक्षिण और मध्य एशिया के बीच संपर्क पर एक अंतरराष्ट्रीय बैठक में भी एस. जयशंकर हिस्सा लेंगे।

एससीओ दुशांबे बैठक का फोकस अफगानिस्तान में तालिबान की आक्रमक स्थिति पर रहेगा। जिसमें कट्टरपंथी ताकतों द्वारा ताजिकिस्तान को जोड़ने वाली सड़क अमू दरिया और हेरात के माध्यम से ईरान के लिए एक दूसरी जमीन पर कब्जा करना शामिल है। इसके साथ ही यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि बड़े पैमाने पर सुन्नी पश्तून बल मजार-ए-शरीफ से उज्बेकिस्तान में तरमेज़ तक के भूमि मार्ग पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे और इसके बाद तालिबान के आतंकी अफगान सेना को मारने या उनसे सरेंडर करवाने की कोशिश करेंगे, ताकि काबुल पर आसानी से कब्जा किया जा सके। बताया जा रहा है कि तालिबान, धीरे धीरे काबुल को घेर रहा है और एक साथ चारों दिशाओं में तालिबान हमला करेगा। वहीं, एक टीवी चैनल ने दिखाया है कि आत्मसमर्पण करने के बाद भी तालिबान ने कई अफगान सैनिकों की हत्या कर दी है। आपको बता दें कि अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलते ही तालिबान ने फिर से अफगानिस्तान में काफी मजबूती से पैर जमाना शुरू कर दिया है।

एससीओ की मंत्रिस्तरीय बैठक का एजेंडा अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा करना होगा। वहीं, पड़ोसी दक्षिण और मध्य एशिया पर इसके प्रभाव जानना होगा। वहीं चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर भी चर्चा करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक चीन की सेना पीएलए ने कई इलाकों को खाली नहीं किया है, जिसको लेकर दोनों विदेश मंत्रियों की बातचीत होगी। वहीं, भारत और चीनी सैनिकों के 12वें दौर की वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक की तारीखों को भी अंतिम रूप दिया जाएगा।

पीएलए चाहता है कि वरिष्ठ कमांडर गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में सेना के डिसइंगेजमेंट को लेकर चर्चा करें, जबकि डेपसांग बुलगे को स्थानीय कमांडरों के हवाले कर दिया जाए, क्योंकि पीएलए दावा करता है कि ये 2013 से ये चीन की विरासत है। हालांकि, मोदी सरकार इस मामले को लेकर काफी स्पष्ट है कि देपसांग बुलगे मुद्दे पर भी चर्चा की जानी चाहिए, क्योंकि चीन की सेना इस रास्ते में रूकावट डालती है, और भारतीय सेना को पेट्रोलिंग प्वाइंट्स 10 से 13 पर गश्त करने में रूकावट उत्पन्ना करता है। भारत का मानना है कि देपसांग और गोगरा स्प्रिंग में पीएलए ने जान-बूझकर विवाद की स्थिति को जन्म दिया है, लिहाजा दोनों सेनाएं इसपर बात करते हुए समस्या को खत्म करे। इसके साथ ही भारत और चीन अफगानिस्तान की स्थिति और तालिबान को लेकर चर्चा करेंगे।

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