बेंगलुरु: दुनिया में अनेकों भाषाएं बोली जाती हैं, अकेले भारत में ही सैकड़ों भाषा बोली जाती है। भारत एक ऐसा देश है जहां हर 100 किलोमीटर के क्षेत्रफल के बाद भाषा और संस्कृति में भिन्नताएं देखने को मिल जाती है। अलग-अलग भाषाओं से मिलकर बने भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले सर्च इंजन गूगल ने कुछ ऐसा किया जिसको लेकर लोग आग-बबूला हो गए। मालमा गूगल पर ‘सबसे खराब भाषा’ को लेकर पूछे जाने वाले सवाल से जुड़ा है। अक्सर लोग हर छोटे-बड़े सवाल के लिए अब गूगल की मदद लेने लगे हैं, कई अपने खुराफात के चलते अजीबोगरीब सवाल भी गूगल से पूछते हैं। इन दिनों गूगल के सर्च बार में ‘सबसे खराब भाषा’ लिखे जाने पर उत्तर में मिले जवाब को लेकर बवाल मचा हुआ है। दरअसल, जब गूगल पर ‘सबसे खराब भाषा’ लिखकर सर्च किया जाता है तो जवाब में गूगल ‘कन्नड़’ बताता है। इसे लेकर अब कर्नाटक में आक्रोश पैदा हो गया है।
कर्नाटक सरकार ने भी इस मामले पर नाराजगी जताते हुए कंपनी के खिलाफ कानूनी नोटिस जारी करने की बात कही। वहीं सभी राजनीतिक दलों ने भी गूगल के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कंपनी की निंदा की। इस बीच गूगल ने लोगों के गुस्से को देखते हुए ‘भारत में सबसे भद्दी (अगलिएस्ट) भाषा’ पूछे जाने पर अपने सर्च इंजन पर आने वाले जवाब से कन्नड़ को हटा लिया है, इतना ही नहीं कंपनी ने लिखित में लोगों से माफी भी मांगी है। गूगल ने इस मामले पर खेद प्रकट करते हुए कहा कि सर्च परिणाम में आने वाला जवाब कंपनी की निजी राय नहीं होती। कंपनी ने आगे कहा कि हम गलतफहमी और किसी भी भावना को आहत करने के लिए क्षमा चाहते हैं। उधर, कर्नाटक सरकार ने गूगल के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है, कर्नाटक के कन्नड़, संस्कृति और वन मंत्री अरविंद लिंबावली ने कहा कि संबंधित विभाग को गूगल को नोटिस देने का निर्देश दे दिया गया है।
मंत्री अरविंद लिंबावली ने ट्विटर पर भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए गूगल से कन्नड़िगा लोगों से माफी मांगने को कहा है। उन्होंने लिखा, ‘कन्नड़ भाषा लगभग 2500 साल पहले अस्तित्व में आई थी, इसका अपना एक इतिहास है। यह भाषा सदियों से कन्नड़िगा लोगों के लिए गौरव रही है। गूगल द्वारा कन्नड़ भाषा को खराब बताना सिर्फ कन्नड़िया लोगों के गौरव को ठेस पहुंचाने का एक प्रयास है। मैं गूगल से कन्नड़ और कन्नड़िगा से तत्काल माफी मांगने को कहता हूं।’
इस मामले पर गूगल के प्रवक्ता ने सफाई देते हुए कहा, ‘गूगल सर्च पर आने वाला जवाब हमेशा पूरी तरह परिपूर्ण नहीं होती, कई बार पूछे गए सवालों के आश्चर्यजनक परिणाम सामने आ सकते हैं। हमें पता है यह आदर्श नहीं है, लेकिन जब हमें किसी मुद्दे से अवगत कराया जाता है तो हम तुरंत उसके सुधार के लिए उचित कदम उठाते हैं। हम अपने अल्गोरिद्म को सुधारने के लिए लगातार काम करते हैं। स्वाभाविक रूप से इनमें गूगल की अपनी राय नहीं होती। कन्नड़ भाषा को लेकर हुई गलतफहमी के लिए और लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए खेद जताते हैं।’