नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर ट्रस्ट पर लग रहे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। जिस तरह से अयोध्या में जमीन खरीद में कथित भ्रष्टाचार के आरोप मंदिर ट्रस्ट पर लगाए गए हैं उसे फर्जी बताते हुए वीएचपी ने मानहानि के केस की चेतावनी दी है। वीएचपी के इंटरनेशनल वर्किंग प्रेसिडेंट आलोक कुमार ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण पूरी तरह से विश्वसनीयता और पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है। इस दैवीय अभियान को दूषित करने की कोशिश की जा रही है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा लगता है कि निजी लाभ के लिए लोगों को भ्रमित करने का यह अभियान शुरू किया गया है। राजनीतिक विश्वास से जुड़े मसले का राजनीतिकरण करना चाहते हैं।
बता दें कि सपा नेता और प्रदेश में पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडे और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि राम मंदिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार में लिप्त है और जमीन खरीद मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। तेज नारायण पांडे ने कहा कि जो जमीन पहले रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से 2 करोड़ रुपए में खरीदी गई थी। 10 मिनट के बाद ट्रस्ट ने इस जमीन को 18 मार्च को 18.5 करोड़ रुपए में खरीदा है। यही नहीं उन्होंने कहा कि रवि मोहन और सुल्तान अंसारी के बैंक खाते में आरटीजीएस के माध्यम से 17 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए, इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद के आलोक कुमार ने कहा कि जमीन की डील पूरी तरह से पारदर्शी है। हमने ट्र्स्ट को सुझाव दिया है कि वह उन लोगों के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराएं जिन्होंने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ऊपर गलत आरोप लगाए हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और यही वजह है कि ये लोग लोगों को गुमराह कर रहे हैं और उनके बीच झूठ फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह जमन कुसुम पाठक के नाम थी और वह उसकी असल मालकिन थीं, उन्होंने सुल्तान अंसारी और रवि मोहन त्रिपाठी के साथ कुछ साल पहले 2 करोड़ में जमीन की डील की थी, जिसकी उस वक्त कीमत 2 करोड़ रुपए ही थी।
आलोक कुमार ने कहा कि जमीन की खरीद और बिक्री आपसी सहमति पर हुई है। कुसुम पाठक जमीन बेचने के लिए तैयार थीं लेकिन वह इसलिए नहीं बेच सकीं क्योंकि उन्होंने पहले ही एक डील कर रखी थी। इस बीच सुल्तान अंसारी और रवि मोहन इस जमीन को बेचने के इच्छुक थे, लेकिन ये लोग इसलिए इसपर फैसला नहीं ले सके क्योंकि कुसुम इसके लिए राजी नहीं थीं यही वजह है कि दोनों के जमीन को बेचने का अग्रीमेंट नहीं था।