जयपुर: जयपुर नगर निगम ग्रेटर के राजनीतिक अखाड़े में राज्य सरकार ने नए दांव से विपक्ष के लिए पेंच उलझा दिया है। निवर्तमान मेयर सौम्या गुर्जर के निलंबन के बाद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बनाया गया है।
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने देर रात आदेश जारी कर भाजपा पार्षद और वित्त समिति की अध्यक्ष शील धाबाई को मेयर का कार्यभार सौंप दिया है। इसके साथ ही शील धाभाई ने मंगलवार सुबह निगम कार्यालय पहुंचकर पदभार ग्रहण कर लिया है। इससे पहले शहरी सरकार को लेकर भाजपा मुख्यालय में मेयर के निलंबन के बाद पार्टी पदाधिकारियों की बैठक हुई थी।। इसके बाद जयपुर शहर में भाजपा ने सभी वार्डों में भी विरोध प्रदर्शन किया था। हालांकि शील धाभाई के नाम की घोषणा के बाद भाजपा ने सरकार का विरोध करने को लेकर आंतरिक मीटिंग की थी जिसके बाद भाजपा ने डॉक्टर सोनिया गुर्जर के निलंबन का विरोध करने का निर्णय लिया है। राजनीतिक अखाड़े में जयपुर ग्रेटर नगर निगम कार्यवाहक मेयर शील धाभाई के सामने कड़ी चुनौतियां हैं। शील धाभाई के कार्यभार ग्रहण करने के दौरान भाजपा के संगठन के बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी रही।
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के इस निर्णय ने सभी को चौंका दिया है, क्योंकि शील धाबाई इससे पहले भी जयपुर की मेयर रह चुकी हैं। नवंबर 2020 में हुए नगर निगम चुनावों के परिणाम के बाद शील धाबाई को मेयर का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन भाजपा ने एनवक्त पर सौम्या में जब दूसरा बोर्ड बना था, तब निर्मला वर्मा मेयर बनी थीं।
निर्मला वर्मा 29 नवंबर 1999 से 16 अगस्त 2001 तक रही। वर्मा के निधन के बाद शील धाबाई 4 दिसंबर 2001 से 28 नवंबर 2004 तक जयपुर की मेयर रही। मेयर के बाद शील धाबाई ने भाजपा की टिकट से कोटपूतली से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन वह हार गई थीं