नई दिल्ली: बल, शौर्य, साहस, पराक्रम और भाग्य का प्रतिनिधि ग्रह मंगल ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी 2 जून 2021 बुधवार को प्रात: 6.50 बजे कर्क राशि में प्रवेश करेगा। यह मंगल की नीच राशि है। मंगल अपने दो उपग्रह डैमास व फैवोस के साथ मिथुन राशि को छोड़कर कर्क में प्रवेश करेगा। यहां से मंगल अपनी चौथी दृष्टि से तुला, सातवीं दृष्टि से मकर राशि स्थित शनि तथा आठवीं दृष्टि से कुंभ राशि स्थित बृहस्पति को देखगा। मंगल 20 जुलाई तक इसी राशि में रहेगा इसके बाद सिंह में प्रवेश कर जाएगा।
कर्क राशि में 49 दिनों के परिभ्रमण काल में अन्य ग्रहों से दृष्टि संबंध के चलते अलग-अलग परिस्थितियां दिखाई देंगी। ज्ञात हो किमंगल गृह की जन्म स्थली उज्जयिनी है और यहीं से कर्क रेखा भी गुजरती है। कर्क राशि स्थित मंगल उज्जैन और इसके आसपास के विशाल क्षेत्र पर विशेष प्रभाव दिखाएगा।
राशि चंक्र में कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है और शीत व जलचर राशि है, जबकिमंगल अग्नि तत्व का प्रतीक और उग्र ग्रह है। इसलिए इसका प्रकृति, पर्यावरण, मनुष्यों, प्राणियों पर विशेष प्रभाव रहेगा। इनमें सर्वप्रथम प्राकृतिक व मौसम में परिवर्तन का क्रम दिखाई देगा। अर्थात दक्षिण पश्चिम से जुड़े राज्यों में बारिश की स्थिति आरंभ होगी। क्योंकिमंगल का चंद्रमा की राशि में परिभ्रमण रहेगा। इस दृष्टि से दक्षिण पश्चिम से जुड़े राज्यों में जून से जुलाई माह में मानसून प्रबल दिखाई देगा।
ज्योतिष के अनेक योगों में चंद्र मंगल की युति से बनने वाले लक्ष्मी योग की बड़ी चर्चा होती है। चंद्र और मंगल यदि किसी कुंडली में साथ में हों तो वह जातक अटूट लक्ष्मी का स्वामी बनता है। इसी प्रकार मंगल के चंद्र की राशि में गोचर करने के लिए आर्थिक स्थिति विशेष रूप से प्रभावित होगी।
कर्क राशि स्थित मंगल का मकर राशि स्थित शनि से समसप्तक योग भी बनेगा। शास्त्रीय गणना से देखें तो मंगल शनि के सम सप्तक योग से समुद्री तूफान, प्रकृति प्रकोप तथा कट्टरपंथी राष्ट्रों के मध्य आपसी विवाद की स्थिति बनती है। हालांकिभारत के लिए इसका प्रभाव अलग रहेगा। क्योंकिज्येष्ठ मास का आरंभ गुरुवार का होना तथा गुरुवार के दिन ही अमावस्या तथा पूर्णिमा का होना उत्तरोत्तर श्रेष्ठ माने जाते हैं।
मैदिनि ज्योतिषशास्त्र की गणना में राशि वार तथा ग्रहों के परिभ्रमण से उसका होने वाला प्रभाव दर्शाया गया है। जलचर राशि में मंगल का प्रवेश प्रकृति में श्रेष्ठ वर्षा ऋतु का होना दर्शाता है। इस दृष्टि से समय पर मानसून की आमद होगी तथा वर्षा ऋतु में उत्तम वृष्टि होने की संभावना बनेगी।