बेंगलुरु: कोरोना वायरस की दूसरी लहर झेल रहे भारत को जल्द ही संक्रमण से लड़ने के लिए एक और नया हथियार मिल सकता है यानी की भारत को एक और मरीजों के इलाज के लिए वैक्सीन मिलने की उम्मीद है, क्योंकि दवा कंपनी जायडस कैडिला ने कोरोना के माइल्ड सिम्टम्स वाले मरीजों के इलाज के लिए घरेलू दवा नियामक ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से एंटीबॉडी कॉकटेल के क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी मांगी है।
देश में कोरोना महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक दवाओं और टीकों की कमी है, जिसको लेकर दवा कंपनी ने बताया कि ZRC-3308 को पहले जानवरों के परीक्षण के दौरान फेफड़ों पर वायरस का असर कम हो गया था। जिसे सुरक्षित और अच्छी तरह से सहन करने वाला पाया गया था। थेरेपी दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का एक कॉकटेल है, जो प्राकृतिक एंटीबॉडी की तरह शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करता है। अब इस ट्रायल को इंसानों पर की जाने की जरूरत है।
जायडस कैडिला के प्रबंध निदेशक शरविल पटेल ने कहा कि इस समय कोविड से निपटने के लिए सुरक्षित और अधिक प्रभावकारी उपचार तलाशने की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। जिसके मद्देनजर कंपनी औषधि महानियंत्रक से ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मांग रही है। बता दें कि जायडस एकमात्र इंडियन दवा कंपनी है, जिसने कोरोना उपचार के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी आधारित कॉकटेल बनाया है।
इससे पहले ड्रग कंपनी रोश इंडिया और सिप्ला ने एंटीबॉडी कॉकटेल को लांच करने की घोषणा की थी। खबरों के मुताबिक इस दवा की एक डोज की रेट 59,750 रुपये है, जिसको उच्च जोखिम वाले हल्के और मध्यम स्तर पर कोरोना संक्रमित मरीजों को दी जाएगी। यह एंटीबाडी कॉकटेल दो दवाइयों कैसिरिविमैब और इमदेविमैब का मिक्सचर है।