नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कार्यकर्ता देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दे दी है। पिछले साल मई 2020 में तीनों कार्यकर्ता को पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के सिलसिले में UAPA एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। नताशा नरवाल समेत इन तीनों को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था और दिल्ली दंगा में गैरकानूनी सभा और हत्या के प्रयास सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। देवांगना कलिता और नताशा नरवाल दिल्ली स्थित महिला अधिकार ग्रुप ‘पिंजरा तोड़’ के सदस्य हैं। वहीं आसिफ इकबाल तन्हा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र हैं।
देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत इस आधार पर दी है कि वे तीनों अपना पासपोर्ट को सरेंडर करेंगे। इसके अलावा कोर्ट ने तीनों को किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं की हिदायत दी है। नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के विरोध में फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा होने के आरोप में मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था।
मई 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर में, नताशा नरवाल ने अपने पिता को खो दिया, जबकि वह उस वक्त जेल में थी। अपने पिता महावीर नरवाल के निधन के बाद उन्हें अंतिम संस्कार करने की अनुमति देने के लिए उन्हें जमानत दी गई थी। उसने अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के तुरंत बाद नताशा नरवाल फिर से आत्मसमर्पण कर तिहाड़ जेल लौट आई थीं। जहां वह एक साल से अधिक समय से बंद थी। पिंजरा तोड़ ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा था कि नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उन्होंने सभी के लिए समान और वास्तविक नागरिकता की मांग को लेकर आवाज उठाई थी। पिछले हफ्ते, महिला सामूहिक पिंजरा तोड़ सदस्यों की गिरफ्तारी के एक साल होने पर कार्यकर्ता और विभिन्न नागरिक समाज समूह एक साथ आए थे और विरोध किया था।