लखनऊ: मई 11 कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला बोला है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री की अदूरदर्शिता और समय पर निर्णय लेने की अक्षमता के चलते प्रदेश में हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। इतना ही नहीं, अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना को लेकर भाजपा सरकार द्वारा लगातार ‘झूठा आंकड़ा’ दिया जा रहा है।
अखिलेश यादव ने बयान जारी करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार का राजधानी और महानगरों में सारा ध्यान है फिर भी हालत बेकाबू हैं। ऐसे में गांवो के लाखों ग्रामीणों को उनके अपने भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया है। वहां की बद्तर होती जिंदगी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी में एक लाख गांव हैं जहां 70 प्रतिशत आबादी रहती है। 24 करोड़ की जनसंख्या वाला यह सबसे बड़ा राज्य है। गतवर्ष कोरोना संक्रमण में लॉकडाउन के दौरान पलायन की विकट स्थिति पैदा हुई। पलायन के दौर में श्रमिकों को अमानवीय स्थितियों से गुजरना पड़ा और कईयों की जानें भी चली गई। आज फिर बड़ी संख्या में लोग गांवों में लौट रहे हैं।
समस्या यह है कि जब गांवों में भीड़ बढ़ रही है, न तो वहां जांच और इलाज की व्यवस्था है और न ही रोटी-रोजगार की व्यवस्था है। कोरोना संक्रमण के चलते कृषि कार्य भी बंद हैं। मुख्यमंत्री की बयानबाजी अपनी जगह पर वास्तविकता यह है कि गेहूं खरीद बंद है। किसान बेहाल है। क्रय केंद्र पर ताले लटके हुए हैं। सरकारी केंद्र नहीं, बिचौलिए गेहूं खरीद रहे हैं, वह भी औने पौने दाम पर। सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975/- प्रति कुंतल रखा गया है पर वह किसान को मिलता होता तो वह आंदोलन क्यों करता?
जमीनी हकीकत यह है कि किसान के सामने मौत को गले लगाने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है। उसके धान की खरीद भी सरकारी अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गई है। अब खुद उसके दिन मुसीबत में काट रहें हैं। भाजपा सरकार को सिर्फ चुनाव और सत्ता के खेल खेलना ही आता है। प्रबंधन तथा प्रशासन उसके बस का नहीं है। मुख्यमंत्री को अपनी अकर्णयता को स्वीकारते हुए हट जाना चाहिए। इससे रोज संक्रमण में जिंदगी हारते लोगों को राहत तो मिलती। चार वर्ष में ही प्रदेश का हाल बदहाल करने वाली भाजपा सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह गया है।